नई दिल्ली.सिक्किम के डोकलाम में भारत और चीन के बीच दो महीने से जारी विवाद के बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा है कि 30 साल में पहली बार भारत और चीन के बीच जंग का खतरा इस बार सबसे ज्यादा बड़ा है। दोनों ही देशों के पास एटमी हथियार हैं और इन दोनों के बीच एक छोटा देश भूटान भी फंस गया है। अखबार के मुताबिक- चीन ये दावा करता है कि भारत ने उसकी सीमा में घुसपैठ की है। जबकि, भारत का कहना है कि चीन ट्राइजंक्शन में रोड बनाकर उसकी सिक्युरिटी के लिए खतरा पैदा कर रहा है। और क्या कहा अखबार में...
- वॉशिंगटन पोस्ट ने गुरुवार को एक रिपोर्ट पब्लिश की। इसमें सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स के हवाले से कई जानकारियां दी गई हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, ‘दुनिया का ध्यान अभी नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच जारी तनाव पर ज्यादा है। इससे कहीं ज्यादा बड़ा लेकिन, एक शांत खतरा दो महीने से हिमालय रीजन में चल रहा है। चीन जिस इलाके में सड़क बना रहा है, उसे वो अपना बता रहा है जबकि भारत का करीबी दोस्त उस जमीन पर अपना दावा पेश करता है। चीन का सरकारी मीडिया भारत को रोज घुसपैठिया बताकर धमकी दे रहा है। भारत से कहा जाता है- अगर इलाके में शांति रखनी है तो भारत को डोकलाम के इलाके से फौज हटानी ही होगी।’
बॉर्डर का ज्यादातर इलाका विवादित
- रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत और चीन के बीच 2220 मील लंबी बॉर्डर है और इसके ज्यादातर हिस्से पर दोनों देशों में विवाद है। हालांकि, गोलियां किसी भी तरफ से नहीं चलतीं। हाल की दिनों में दोनों देशों के रिश्ते काफी खराब हुए हैं। चीन भारत को उसकी सिक्युरिटी के लिए खतरा बताता है। इन दोनों देशों के बीच भूटान भी आता है। जो एक छोटा सा देश है। भारत-चीन का टकराव अब लद्दाख तक पहुंच गया है। जहां 15 अगस्त को दोनों सेनाओं की झड़प हुई।’
विवाद ना बढ़ने की गारंटी नहीं
- रॉयल यूनाईटेड सर्विसेस इंस्टीट्यूट लंदन के एनालिस्ट शशांक जोशी के मुताबिक, ‘तनाव नहीं बढ़ेगा, ये कहना बेहद मुश्किल है। 30 साल में पहली बार भारत और चीन के बीच कोई विवाद इतना बड़ा हो गया है। दोनों मुल्क दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी रखते हैं। चीन साउथ चाइना सी में आईलैंड्स बनाकर समुद्र में भी विस्तार कर रहा है। वो चाहता है कि पूरे साउथ एशिया में उसकी ही मर्जी चले। भारत को वो सबसे बड़े रोढ़े के तौर पर देखता है।’
भूटान की मदद के लिए आगे आया भारत
- अखबार ने लिखा, ‘भूटान सिर्फ आठ लाख जनसंख्या वाला छोटा सा देश है। भारत ने उसे 578 मिलियन डॉलर की मिलिट्री एेड दी है। भारत को लगता है कि अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब हो गया तो वो उसकी सिक्युरिटी के लिए अहम सिलीगुड़ी तक पहुंच जाएगा। चीन का दावा है कि भारत के 270 सैनिक दो बुल्डोजरों और हथियारों के साथ डोकलाम में मौजूद हैं।’
दलाई लामा से शुरु हुआ विवाद
- वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच भरोसे में कमी आना 1959 में तब शुरू हुई जब भारत ने दलाई लामा को पनाह दी। 1962 में दोनों के बीच जंग हुई। 2004 में नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। उन्हें प्रो चाइना माना जाएगा। उन्होंने चीनी इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया। लेकिन, जब चीन ने एनएसजी में भारत की मेंबरशिप को लेकर अड़ंगा लगाया, मसूद अजहर पर यूएन बैन अटकाया- तो मोदी भी बदल गए।’
- ‘जब चीन ने वन बेल्ट वन रोड और इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में पाकिस्तान के साथ आगे बढ़ा तो दोनों देशों के बीच रिश्ते और बिगड़ने लगे। भारत ने भी जवाब दिया। दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की इजाजत दे दी। इसे चीन तिब्बत का इलाका मानता है।’
पहली गोली नहीं चलाएंगे: चीन
- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीन की सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल झू गुआनग्यू ने अखबार से कहा, “अगर भारत अपने सैनिकों को डोकलाम से नहीं हटाता तो हम ऐसा करेंगे। लेकिन, ये भी सही है कि चीन किसी प्रकार का खून-खराबा नहीं चाहता।”
- “हम पहली गोली नहीं चलाएंगे। इससे ये समझिए कि चीन इस मुद्दे पर कितना सिंसियर है। लेकिन, फैसला चीन को नहीं भारत को करना है कि जंग होगी या नहीं।”
भारत भी तैयार- वहीं, शशांक जोशी ने कहा, “भारत ने चीन को जवाब देने के लिए कई तरह की तैयारियां कर ली हैं। उसकी फौज पूरे दो महीने से ऑपरेशनल अलर्ट पर है। काफी ऊंचाई वाले इलाके में भारत की दो माउंटेन रेजीमेंट तैनात कर दी गई हैं।”
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